भारत में सेमीकंडक्टर
(Semiconductor in India)
वर्तमान
संदर्भ
अरबपति,उद्धोगपति अनिल अग्रवाल को भारत में
19 बिलियन डॉलर का चिपमेकिंग प्लांट बनाने की योजना समस्याओ का सामना कर रही है
क्योंकि उनका उद्यम एक प्रौद्योगिकी भागीदार बनने के लिए
संघर्ष कर रहा है और सरकार से वित्तीय प्रोत्साहन प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना
कर रहा है।
विवरण
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भारत की वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड और ताइवान की होन हाई प्रिसिजन इंडस्ट्री कंपनी के बीच चिप साझेदारी की घोषणा करने के सात महीने बाद, उद्यम ने अभी तक फैब्रिकेशन
यूनिट ऑपरेटर या लाइसेंस निर्माण-वर्ग प्रौद्योगिकी के
साथ गठबंधन करने में असफल रहा।
सेमीकंडक्टर
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सेमीकंडक्टर्स ऐसी सामग्रियां हैं जिनमें सुचालक (आमतौर पर धातु) और कुचालक या इंसुलेटर (अधिकांश सिरेमिक
की तरह) के बीच का गुण पाया जाता है।
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सेमीकंडक्टर्स शुद्ध तत्व हो सकते हैं, जैसे-
सिलिकॉन
या
जर्मेनियम
या
यौगिक
जैसे- गैलियम आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड। डोपिंग प्रक्रिया में शुद्ध सेमीकंडक्टर्स
में अशुद्धियों की थोड़ी मात्रा मिला दी जाती है जिससे सामग्री की चालकता में परिवर्तन आ जाता है।
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सेमीकंडक्टर्स आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स का दिल और दिमाग है। इसका उपयोग टीवी, लैपटॉप, मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, रोबोटिक्स,
आदि जैसी लगभग हर चीज में किया जाता है।
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सेमीकंडक्टर्स वर्तमान में कच्चे एवं रिफाइंड तेल और कारों के बाद दुनिया का चौथा सबसे अधिक कारोबार वाला उत्पाद है।
सेमीकंडक्टर
की किस्में
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सिलिकॉन
शामिल तत्वों के आधार पर सेमीकंडक्टर्स को
मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं, एक प्रक्रिया
जिसे "डोपिंग" के रूप में जाना जाता
है। इस प्रक्रिया में शुद्ध
अर्द्धचालक क्रिस्टल में विशेष विधि से अशुद्धियां मिला दी जाती है।
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उत्पाद
की
मांग
के
अनुसार
अशुद्धियों को मिलाकर इसकी चालकता को नियंत्रित किया जा सकता है।
भारत में
सेमीकंडक्टर उद्योग की संभावनाएं
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भारत
में सेमीकंडक्टर
की घरेलू मांग वर्ष 2026 तक 80 बिलियन डॉलर और वर्ष 2030 तक 110 अरब डॉलर तक होने की उम्मीद है।
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यह आयात निर्भरता और व्यापार
घाटे को कम करने में मदद करता है। वर्तमान में भारत सेमीकंडक्टर आयात के लिए अमेरिका,
यूरोप और चीन पर अत्यधिक निर्भर है, जिससे भारत के लिए उच्च व्यापार घाटा होता है।
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सेमीकंडक्टर
उद्योग 4.0 और ऑटोमेशन एवं मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी आदि को बढ़ावा देने में मदद करता है।
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यह
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने में मदद करता है, जिसमें कार के कुल घटक के 40 प्रतिशत की
जरूरत होती
है।
·
यह
सेमीकंडक्टर उद्योग की स्थापना करके भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करने में मदद करता है। सेमीकंडक्टर्स
के लिए मूल्य श्रृंखला संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव प्रदान करेगी।
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वर्तमान
में, वैश्विक कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने और चीन में अपने उद्धोग के विकल्प की तलाश कर रही हैं, जो भारत के लिए अनूठा अवसर प्रदान करता है।
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सेमीकंडक्टर्स उद्योग में भारत असेम्बली, परीक्षण और पैकेजिंग (ATP) चरण का उपयोग कर सकता है जिसके लिए अर्ध-कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इससे भारत में रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी।
भारत के
लिए चुनौतियां
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सेमीकंडक्टर प्लांट को चिप निर्माण
संयंत्र स्थापित करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है जो कि लगभग 5-7 बिलियन डॉलर
है।
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इसके
लिए बिजली और पानी की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता है, अन्यथा उत्पादन प्रक्रिया बाधित होगा।
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भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के
लिए अत्यधिक कुशल कार्यबल की कमी है।
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भारत
में
नीति
में
सामंजस्य
का
अभाव
है। इससे पहले 2000 के दशक में इंटेल चिपसेट प्लांट स्थापित करना चाहता था, लेकिन बाद में किसी सुसंगत नीति और नौकरशाही जड़ता की कमी के कारण उसे ताइवान
में स्थानांतरित कर दिया गया।
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भारत
में संचालन और उचित अपशिष्ट निपटान
व्यवस्था अपर्याप्त है
जिससे यहां
विनिर्माण की स्थिति खराब हो सकती है।
निष्कर्ष
डेलॉयट की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार वर्ष
2026 तक 55 बिलियन डॉलर तक
पहुंच जाएगा, जिसमें 60 प्रतिशत से
अधिक बाजार तीन उद्योगों (स्मार्टफोन
और
पहनने
योग्य,
ऑटोमोटिव
घटक,
और
कंप्यूटिंग
एवं
डेटा
स्टोरेज) द्वारा संचालित होगा। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) पैकेज से निवेश आकर्षित होने और भारत को सेमीकंडक्टर विनिर्माण के
केंद्र के रूप में स्थापित होने की उम्मीद है। हम वर्ष 2026 तक विकास की संभावनाओं के आयामों के रूप में बाजार और पोर्टफोलियो, विनिर्माण, अनुसंधान व विकास तथा प्रतिभा
समृद्ध होने की आशा करते हैं।
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