78 independence day 2024
15 अगस्त क्यूं मनाया जाता है ?
15 अगस्त को भारत में
स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, 1947 में भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। 15 अगस्त 1947 को, भारत के
पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराकर देश की
स्वतंत्रता की घोषणा की थी।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
की कहानी एक जटिल और बहुपरकारी यात्रा है जिसमें कई अनकही बातें और दिलचस्प तथ्य
हैं। यहाँ कुछ ऐसी अनकही बातें हैं जिन्हें अक्सर सुना नहीं जाता:
1. गाँधीजी की भूमिका की शुरुआत: महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश 1915 में हुआ, लेकिन इससे पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण संघर्ष किया था। उनका अहिंसा और सत्याग्रह का सिद्धांत यहीं से विकसित हुआ था।
2. स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत में महिलाओं की भूमिका: भारतीय महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन उनकी भूमिका को बहुत कम मान्यता मिली है। रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्या बाई होलकर, और बडर-उल-निसा जैसी महिलाओं ने विशेष रूप से महत्वपूर्ण योगदान दिया।
3. चुपके से स्वतंत्रता आंदोलन: कुछ स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी संगठन, जैसे कि हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA), ने भूमिगत तरीके से काम किया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपने विरोध को चुपके से बढ़ाया। भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. रोज़मर्रा के जीवन में उपनिवेशवाद का प्रभाव: स्वतंत्रता संग्राम केवल बड़े नेताओं और आंदोलनों तक ही सीमित नहीं था। आम लोगों के रोज़मर्रा के जीवन में उपनिवेशवाद का गहरा प्रभाव था। जैसे कि ब्रिटिश सरकार ने कई भारतीय उद्योगों को कमजोर किया और स्थानीय कारीगरों को प्रभावित किया।
5. आंदोलन की विविधताएँ:
स्वतंत्रता संग्राम में कई प्रकार के आंदोलनों और विचारधाराओं का समावेश था।
गांधीजी के अहिंसात्मक सत्याग्रह के अलावा, सुभाष चंद्र बोस का आक्रामक स्वतंत्रता आंदोलन और मुस्लिम
लीग का विभाजन की ओर झुकाव भी महत्वपूर्ण था।
6. संविधान निर्माण की
चुनौतियाँ: भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद संविधान निर्माण एक बड़ी चुनौती थी।
डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनकी टीम ने संविधान को आकार देने के लिए कई कठिन निर्णय
लिए,
जो आज भी भारत की लोकतांत्रिक संरचना का आधार हैं।
7. ब्रिटिशों की रणनीति और
विभाजन: ब्रिटिशों ने स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के लिए कई विभाजनकारी नीतियों
का उपयोग किया, जिनमें धार्मिक और
जातीय आधार पर विभाजन भी शामिल था, जिसने अंततः भारत के विभाजन की नींव रखी।
ये बातें स्वतंत्रता
संग्राम के जटिल और विविध पहलुओं को उजागर करती हैं और दिखाती हैं कि कैसे विभिन्न
घटक और घटनाएँ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनीं।
15 अगस्त को
ही क्यूं मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस?
15 अगस्त को स्वतंत्रता
दिवस मनाने की वजह है कि यह भारत के ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने की
तारीख है। 15 अगस्त 1947 को भारत ने आधिकारिक रूप से ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाई और
एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा। इस दिन को चुनने के पीछे कुछ महत्वपूर्ण
कारण हैं:
1. जापान की
हार की तारीख: 15 अगस्त 1945 को जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण किया था।
ब्रिटिश सरकार ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने की कोशिश की थी, लेकिन जापान की हार के बाद विश्व राजनीति में बदलाव आया और
भारत के स्वतंत्रता की संभावना बढ़ गई। यह दिन स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में
चुना गया।
2. पैटर्न
ऑफ द डे: कई देशों ने अपने स्वतंत्रता दिवस के लिए महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तारीखें
चुनी हैं,
जो स्वतंत्रता प्राप्ति के समय के साथ मेल खाती हैं। भारत
ने भी इसी पैटर्न का पालन करते हुए 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में अपनाया।
3. ब्रिटिश
सरकार की घोषणा: ब्रिटिश सरकार ने 1947 में भारत के विभाजन और स्वतंत्रता की तारीख के रूप में 15 अगस्त तय किया था। यह तारीख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के
नेताओं और ब्रिटिश सरकार के बीच सहमति के परिणामस्वरूप चुनी गई थी।
4. प्रथम
प्रधानमंत्री नेहरू की घोषणा: जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, तो पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को दिल्ली के लाल किले पर भारतीय तिरंगा फहराया और
स्वतंत्रता की घोषणा की। यह दिन तब से हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया
जाता है।
इस तरह, 15 अगस्त का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण
ऐतिहासिक घटना को याद करने और देश की स्वतंत्रता के प्रति गर्व और सम्मान व्यक्त
करने का अवसर है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
में विभिन्न नेताओं और आंदोलनकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई, और किसी एक व्यक्ति को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताना
मुश्किल है, क्योंकि प्रत्येक ने
अपने तरीके से योगदान किया। फिर भी, कुछ प्रमुख व्यक्तित्वों का नाम विशेष रूप से प्रमुख है, जिनकी भूमिकाएँ अत्यधिक प्रभावशाली थीं:
1. महात्मा
गांधी: गांधीजी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के माध्यम से स्वतंत्रता
संग्राम को नई दिशा दी। उनके नेतृत्व में दांडी मार्च, असहयोग आंदोलन, औरQuit India Movement जैसे बड़े आंदोलनों ने ब्रिटिश सरकार को मजबूर किया कि वह
भारतीय स्वतंत्रता की मांग स्वीकार करें।
2. जवाहरलाल
नेहरू: स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और भारतीय गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री, नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और एक
मजबूत लोकतांत्रिक भारत की नींव रखी।
3. सुभाष
चंद्र बोस: बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का नेतृत्व किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशस्त्र
संघर्ष किया। उनका 'तुम मुझे
खून दो,
मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा' का नारा भारतीयों को प्रेरित करने वाला था।
4. भगत सिंह:
भगत सिंह और उनके साथियों ने क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से स्वतंत्रता
संग्राम को नया मोड़ दिया। उनकी शहादत और क्रांतिकारी विचारधारा ने युवा पीढ़ी को
प्रेरित किया।
5. डॉ.
भीमराव अंबेडकर: अंबेडकर ने न केवल संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए भी संघर्ष
किया। उनका योगदान भारतीय समाज की संरचना में महत्वपूर्ण था।
6. रानी
लक्ष्मीबाई : 1857 के विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिशों के खिलाफ
संघर्ष किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक शक्तिशाली प्रतीक बनीं।
7. सरदार
वल्लभभाई पटेल: पटेल ने देश के विभाजन के बाद राज्यों के विलय की प्रक्रिया को
सफलतापूर्वक संपन्न किया और भारतीय संघ को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई।
ये व्यक्तित्व स्वतंत्रता
संग्राम में अपनी-अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि स्वतंत्रता संग्राम एक
सामूहिक प्रयास था जिसमें अनेक लोगों ने विभिन्न प्रकार से योगदान दिया। इनमें कई
अज्ञात और कम-प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी भी शामिल हैं जिन्होंने अपने बलिदान और
संघर्ष से भारत की स्वतंत्रता में योगदान दिया।
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